19 जुलाई 2013

ऑनलाइन खतरे

मैंने अपने पिछले लेख क्या नेट पर अपनी पहचान छुपाई जा सकती है में जिक्र किया था कि नेट पर धोखाधड़ी भी होती है। शायद अधिकांश मित्रों को यह पता ही होगा, लेकिन कुछ मित्र ऐसे जरूर होंगे, जिन्हें इसके बारे में नहीं पता हो। खैर...

तो पहले तो यह जान लें कि नेट पर अक्सर किस-किस तरह के खतरे होते हैं ?  तो भई अगर आप कम्प्यूटर प्रयोक्ता हैं, तो एक शब्द आपने जरूर सुन रखा होगा - वायरस। वायरस के अलावा भी इनके खानदान के कुछ और सदस्य भी हैं, जिन से सावधान रहने की जरूरत है, जैसे कि- ट्रोजन हॉर्स, मालवेयर्स, रूटकिट वगैरह वगैरह। इन सब पर किसी दिन अलग से पूरी पोस्ट लिखूंगा, फिलहाल यह जान लें कि ये सब खास तरह के प्रोग्राम्स (कम्प्यूटर को दिये गये निर्देशों का समूह) हैं, जिनका मक्सद आपके कम्प्यूटर में गड़बड़ी फैलाने का होता है, गड़बड़ी फैलाने के मक्सद अलग-अलग हो सकते हैं।

हैकिंग खतरे का एक रूप भी है और जरिया भी। इसे शायद थोड़ा समझ लेने की जरूरत है। हैकिंग ऐसा तरीका है, जिससे कि कोई आपके कम्प्यूटर में उपलब्ध सूचनाएं, मसलन आपके passwords, आपके मित्रों के ई-मेल आईडी, उनके फोन नम्बर्स, आपकी निजी फोटोज, विडियोज, आपके टॉप सीक्रेट्स, आपके प्रोफेशनल सीक्रेट्स वगैरह-वगैरह चुरा सकता है।

इसके अतिरिक्त, आपके कम्प्यूटर को हैक करके, आपके कम्प्यूटर के IP Address से किसी को कोई आपत्त‍िजनक संदेश भेजा जा सकता है। कुछ आतंकवादी संगठन तो ऐसा भी कर सकते हैं कि कहीं कोई वारदात करके आपके पते से उसकी जिम्मेदारी का संदेश किसी सुरक्षा एजेन्सी को भेज दें। आइडेंटिफिकेशन थैफ्ट भी हैकिंग का ही एक रूप है।

फिशिंग भी एक रूप है खतरे का। कई बार आपने देखा-सुना होगा कि किसी व्यक्ति को कोई ई-मेल प्राप्त होता है, जिसमें बताया जाता है कि आप एक बड़ी रकम (बिना कुछ किये धरे ही) लकी ड्रॉ में जीत गये हैं। इसलिए आप अपने बैंक खाते का विवरण हमें दे दीजिए और हम आपके खाते में वह रकम जमा करा देंगे। कभी यह भी कहा जाता है कि इस रकम का कुछ प्रतिशत आप टैक्स के रूप में देंगे, तभी आपको यह मिलेगी, इसलिए 'इतने' रूपये आप हमें दे दीजिए तभी हम आपको वह रकम देंगे। जबकि यह सब फर्जी मामला होता है। आपको तरह-तरह के झूठ बोलकर (कभी-कभी तो सब्ज़बाग़ दिखाकर) मछली की तरह जाल में फांसा जाता है, इसे फिशिंग कहा जाता है।

ऐसा नहीं कि जो मैंने ऊपर बताया, खतरा केवल इतना सा ही हो, तकनालॉजी के विकास व सर्वसुलभता के कारण इसके बहुत से रूपों में दुरूपयोग हो रहे हैं। आपने पिछले दिनों चीन द्वारा अमेरिका सहित कई देशों की ऑनलाइन जासूसी की बातें भी सुनी होंगी। आप मोबाइल फोन का उपयोग करते हैं, तो आपकी जासूसी उसके द्वारा भी की जा सकती है, मसलन आप किस समय, किस स्थान से, किससे कितनी और क्या बातें कर रहे हैं, वगैरह-वगैरह।

खैर जब खतरे हैं, तो जाहिर है, किसी हद तक सुरक्षा के उपाय भी हैं, उनका जिक्र आगामी पोस्ट में।